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जर्जर खंडहर

जर्जर खंडहर

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आज पुराने जर्जर खंडहरों से

आ रही हैं बस यही आवाज

ओ धरती के रक्षकों

बचा लो हमारा तुम इतिहास ।


सैंकड़ों आंधियां विदेशी चली

मगर हम ज्यों के त्यों बने रहे

पानी गिरा, बवंडर उठे

अपनी जगह से हम ना हिले

मगर आज मेरे अपने ही

बेच रहे हैं मेरी लाज ,

आज पुराने जर्जर खंडहरों से

आ रही हैं बस यही आवाज।


मेरी साफ स्वच्छ छवि को

जैसे धूमिल कर दिया है

जो मेरा रहस्य गूढ़ था

उसने तुमने भूला दिया है।

मेरे हर कण-कण में देखो

छिपा है मेरा इतिहास ,

आज पुराने जर्जर खंडहरों से

आ रही हैं बस यही आवाज।


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