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Swaraangi Sane

Drama

3  

Swaraangi Sane

Drama

जरा सी आँच

जरा सी आँच

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मैंने चाहा धूप को पकड़ना

वैसे ही जैसे          

कोई चाहे सुख को

या अपने प्यारे दोस्त को।

            

मैं नहाती रही गुनगुनेपन में उसके

और टोहती रही अंधेरा

धूप से दूर मैं कई लोगों के साथ थी

सभी अपने अपने अंधेरे में कैद

जरा-सी आँच को। 

 

मान रहे थे पूरी धूप

मैंने भी झिरी से आती धूप को

पूरी समझा

और बंद कर किवाड़

सोचा बंद हो गई वह

आज फिर उसे पाने का मन करता है !


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