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Swaraangi Sane

Drama

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Swaraangi Sane

Drama

पलड़ा

पलड़ा

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तुलसी के चौरे-सा है वह

आज तौल रहे हो उसे

एक और है पैसा,

तरक्की, नाम-दाम।


स्कूल एडमिशन और

डोनेशन का भारी पलड़ा

दूसरी ओर है वह मासूम नन्हा

जिसका पलड़ा

हुआ जा रहा है हलका।


तभी वह ले आता है

तुलसी के कुछ पत्ते

भारी हो जाता है

उसका पलड़ा !


वह केवल तुम्हारी

आँखों की नमी चाहता है

अपने लिए

और इतना ही पर्याप्त है

उसे हरा रहने के लिए ।


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