पलड़ा
पलड़ा


तुलसी के चौरे-सा है वह
आज तौल रहे हो उसे
एक और है पैसा,
तरक्की, नाम-दाम।
स्कूल एडमिशन और
डोनेशन का भारी पलड़ा
दूसरी ओर है वह मासूम नन्हा
जिसका पलड़ा
हुआ जा रहा है हलका।
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तभी वह ले आता है
तुलसी के कुछ पत्ते
भारी हो जाता है
उसका पलड़ा !
वह केवल तुम्हारी
आँखों की नमी चाहता है
अपने लिए
और इतना ही पर्याप्त है
उसे हरा रहने के लिए ।