बँटी हुई सी
बँटी हुई सी


सबको बाँटकर
जो बचे उसी से
गुज़ारती है।
उसके बँट जाने से
सब पूरे खुश हैं
वह बाँटती है
बहुत कुछ।
पर अपने
दुःख क्या सुख भी
नहीं बाँट पाती
किसी से।
उसके अंतस में
ऐसी कई चीज़ें हैं
जो पर्वत हो गई हैं।
जिन्हें वो
बाँटने भी गई तो
खारिज कर दिया जाएगा
उसे ही सिरे से।।