STORYMIRROR

Swaraangi Sane

Abstract

3  

Swaraangi Sane

Abstract

पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

1 min
243


सुन ओ लड़की !

आँसू न आएँ

इसलिए किसी पहरेदार-सा बैठा

काजल को अपनी आँखों में,


अब रोएगी तो काजल बहेगा

और कलमुँही कहलवा देने के लिए

इतना ही काफी होगा उनके लिए।


नथ डाल और उसी के बोझ तले

नीची कर ले नाक

कान की बालियों की

Advertisement

r: rgb(38, 38, 38);">हिलोर में पा ले खुशी।


मेहंदी लगा

लगा माथे पर बिंदी

भर माँग में सिंदुर

पहन लाल चुड़ियाँ

ढूँढ ले उनकी खनखनकाहट में

अपनी हँसी।


लाल रंग को खोज इन्हीं में

बनी रह छुईमुई-सी

कोई क्रांति मत कर

बैठी रह खामोश वरना…।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Swaraangi Sane

Similar hindi poem from Abstract