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Swaraangi Sane

Others

3.2  

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आठवीं जमात

आठवीं जमात

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जब हम कक्षा आठ में थे

कितना सारा जानते थे

एक दूसरे के बारे में

हम बनाते थे भविष्य की

योजनाएँ

सोचते थे नौकरी

कहते थे नाचेंगे कितना

किसकी शादी में

हम समझते थे

हम हो गए बड़े 

सोचने समझने को

टटोलने परखने को

इसलिए बड़ी-बड़ी बातें करते थे

इतिहास की, नागरिक शास्त्र की

मतदान की, अपने अधिकार की


पर हम नहीं हुए थे

पर्याप्त बड़े

कि रो पड़े थे

दूर जाते हुए


मित्रों से जानते रहे 

कि तुमने कटवा लिए हैं बाल

ले लिया है गणित एक विषय

और तुम्हारे पापा की बदली

हो गई है भोपाल


फिर कुछ भी नहीं जान पाए

एक दूसरे के बा

रे में

मिलते रहे और भी कई लोग

छूटते रहे उसी तरह जैसे मिले

बदलते रहे मित्र 

याद रही तो बस कक्षा आठ


अब सचमुच बड़े हो गए हैं

घर से लेकर विश्व तक की

बहस में शामिल हो लेते हैं

कभी नेता हो जाना चाहते हैं

कभी नेता को बदल देना चाहते हैं

कभी मतदान कर अपनी

ताकत पहचानते हैं

तो कभी जो मिल जाएँ

पर उसे स्वीकार लेने की

चाह में नौकरी ढूँढते हैं

ऐसा बहुत कुछ करते हैं

जो नहीं करना चाहते

जबकि तब हम केवल वह

करते थे जो करना चाहते थे

कई साल हो गए हैं छोड़े कक्षा आठ


पर तुम्हें भी याद आती ही होगी 

भला कोई भूल सकता है कभी कक्षा आठ! 



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