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Raja S Aaditya Gupta

Romance

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Raja S Aaditya Gupta

Romance

जरा बताओ, क्या करोगी?

जरा बताओ, क्या करोगी?

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एक पल के लिए

जब दूर चला जाऊँगा

तेरे आँखों से

जब ओझल हो जाऊँगा

जरा बताओ, क्या करोगी?

जब कुछ दिन मिल न पाउँगा ।


घर के बाहर, चौराहे पर

जब मुझे देख न पाओगी

दफ़्तर के रास्ते में, बस में

जब मेरी याद आएगी

जरा बताओ, क्या करोगी?

जब मैं उस दिन दिख न पाउँगा ।


मध्यान्ह भोजन के समय तुम्हारी नज़रे

जब जलपान-गृह में मुझे ढूंढेगी

किससे पूछोगी? आज क्या लाए हो?

जब सामने की कुर्सी खाली देखोगी

जरा बताओ, अकेले कैसे खाओगी?

जब उस वक़्त मुझे साथ न पाओगी ।


शाम में, अपनी बहन के साथ

जब गरमा-गरम कॉफ़ी पिओगी

दफ़्तर का सारा हाल उसे बताओगी

जब मेरा ज़िक्र न हो पायेगा

क्या आप अब एक साथ नहीं हो?

जब वो ये सवाल तुमसे पूछेगी

जरा बताओ, उसे क्या जवाब दोगी?

जब सच में मुझे ख़ुद से दूर पाओगी ।


आधी रात, छत पर अकेली बैठी

जब चाँद-सितारों से बातें करोगी

प्यार भरे इस पल में कोई कविता

जब तुम्हारे ख़्याल में आएगी

मुझे सुनाने के लिए फ़ोन लगाओगी

जब मुझसे बात नहीं हो पाएगी

जरा बताओ, तब क्या करोगी? 

जब तुम्हारी कविता तुम तक

ही रह जाएगी ।


जरा बताओ, क्या करोगी? 

जब तुम खुद से मुझे दूर पाओगी ।


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