इमली और डिमली
इमली और डिमली
चिड़ीपुर की दो नन्हीं चिड़िया
इमली और डिमली आफत की पुड़िया।
शैतानी-शरारतों से करती सबको परेशान
दोनों सहेली इसमें समझती अपनी शान।
नुकसानों की कभी परवाह न करती
जो मन में आया दिनभर वही करती।
डिमली की मम्मी ने सबक सिखाने की सोची
चार-चार चवन्नी दे कर, अनाज लाने बाजार भेजीं।
दोनों सहेली सजधज कर चली बाजार
रास्ते में एक राक्षस कर रहा था इंतजार।
राक्षस ने देखा दोनों के पास है झोला
तपाक से दोनों को पकड़कर झोले को खोला।
मात्र आठ चवन्नी पाकर गुस्से में बोला
और पैसे लाओ नही तो मेरे पेट में जाओ।
इमली-डिमली डर गई, रोने लगी
जाने दो हमें ,छोड़ दो कहने लगी।
राक्षस ने नही माना, पर एक सुझाव दिया
इमली को अपने पास रख डिमली को जाने दिया।
तुम जाओ अपने गाँव वहाँ से धन लाओ
फिर अपनी सहेली को यहाँ से ले जाओ।
डिमली गाँव पहुँच कर अपनी परेशानी सबको बताई
पर किसी ने तनिक भी नही उसपर विश्वास जताई।
टाल दिया सबने, होगी इसकी कोई नई शरारत
खूब रोई पर किसी ने नही सुनी उसकी बात।
अपनी शरारतों पर डिमली को पछतावा होने लगा
माँ से वादा की आगे से ऐसा कभी नहीं होगा।
डिमली, माँ को लेकर राक्षस के पास पहुँची
इमली दोनों को देख जोरों से रो पड़ी।
माँ ने विनती की, राक्षस ने इमली को छोड़ दिया
और कहा-- अधिक शैतानी-शरारतें मत करना।
इमली-डिमली को सबकुछ समझ में आ गया
आज उसकी माँ ने उसे एक पाठ सीखा दिया।
अधिक शैतानी-शरारतें से उठ जाते हैं विश्वास
मुसीबत आ पड़ी तो किससे करोगे मदद की आस।