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Raja S Aaditya Gupta

Abstract

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Raja S Aaditya Gupta

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मैं और चाँद

मैं और चाँद

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आज के सफ़र में

चाँद भी संग है मेरे।


वो आसमां से देख रहा

मैं जमीं से ताक रहा।


वो बादलों में छुप रहा

मैं पर्दा हटा के देख रहा।


वो मुस्कुराते हुए सवाल कर रहा

मैं हँसते हुए जवाब दे रहा।


वो कभी कभी आँख मिचौली कर रहा

मैं उसे खोजने की कोशिश कर रहा।


वो संगीत के तार छेड़ रहा

मैं उसे एक धागे में पिरो रहा।


वो अपनी चाँदनी को कविता सुना रहा

मैं उस कविता को अपने दिल में

उतार रहा।


वो अलविदा कह के चला गया

मैं उसके इंतजार में जाग रहा।



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