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Raja S Aaditya Gupta

Abstract

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Raja S Aaditya Gupta

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थोड़ी सी ख़ुशी लेते आना

थोड़ी सी ख़ुशी लेते आना

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तुम कभी यहाँ आओ तो

थोड़ी सी ख़ुशी लेते आना 

साथ में उस जगह की

मिट्टी की ख़ुश्बू भी लेते आना।


जिन गली और चौराहे पर

काफी वक़्त साथ बिताए थे

वो वाली दुकान की उधारी

सड़क-पूल के ऊपर बैठ

जो धुआँ-धुआँ उड़ाया करते थे

इन सारी यादों को समेट

अपने साथ लेते आना ।


ज़रा पूछ लेना उससे

जो अक्सर सुबह में मिल जाती थी

कहाँ है वो? कैसी है?

क्या अभी भी मेरी शरारत को

याद करती है, या भूल गई 

अगर उसके ज़हन में 

अभी भी मैं, अगर जिंदा हूँ

तो उसकी थोड़ी सी मुस्कुराहट को

एक बक्से में बंद कर, लेते आना।


जब हम, बेकार यूँ ही घूमते थे

दुनिया भर के तनाव से पड़े

जो जिंदगी बिताया करते थे

उस पल के थोड़े से हिस्से को

मेरे लिए, एक बार लेते आना।


एक बार फिर से, साथ घूमेंगे

समोसे-जलेबी के स्वाद लेंगे

बेवजह बाज़ार जाया करेंगे

तेरे लिए किसी का पीछा भी करेंगे

बस वो छोटी सी साईकल

अपने साथ लेते आना।


तुम यहाँ कभी आओ तो

थोड़ी सी ख़ुशी लेते आना। 



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