जो तू है
जो तू है
क्या पेश करूँ नज़राना अपनी वफ़ादारी का,
और क्या अपनी ईमानदारी का सबूत दूँ,
जो तू है...
बेमतलब से लगते हैं सारे
जो तू है...
पास होने पे तेरे एक सुकून है,
दूर होने पे बेचैनियाँ,
एहसास है, एक हमसफर है अपना,
जो तू है...
कितनी आसानी से तोड़ जाते हैं लोग रिश्ते दिलों के,
दिलों के साथ भरोसा और हौसला भी तोड़ जाते हैं अपनों का,
ये धागे इतने भी कच्चे नही हैं,
जो तू है...
कुछ वार हुए हैं होने पे मेरे,
ज़ख़्म भी हुए है मेरे हौसलों पे कुछ,
नज़रें तेरी मलहम सी लगती हैं,
और छुअन तेरी एक जादू सी,
मिटने लगे हैं वो घाव भी
जो तू है...
तेरे वादे देते हैं भरोसा, तेरी ना करती है चोट,
पर तेरी ना भी एक भरोसा जगाती है,
की अभी भी मै हूँ
जो तू है...
चाहता तो हूँ तुझमें एक साथी,
एक हमराज़, एक हमसफ़र, एक हमराही,
लगता है कि वो है,
जो तू है...

