जो तुम चाहो
जो तुम चाहो
तुम जो चाहोगे
हम वो ही कर जाऐंगे
हम वो हर इलजाम
खुद पे धर जाऐंगे
हम तो इश्क़ में
इश्क से हारे हुए है
अब तेरे दर से गए
तो किधर जाऐंगे
कितने टूटे गए हैं
दिल जो संवारे गए ?
क्या ऐसे अनोखे जो संवर जाऐंगे ?
नाउम्मीदी से अभी अभी उबरे हैं हम
अगर और जो टूटे तो बिखर जाऐंगे।

