जनपथ और राजपथ
जनपथ और राजपथ
तन को वसन
सर को छत
खाने को अन्न
चाहत है !
पर ये कैसा
वीभत्स सत्य है
लोग अभिशप्त हैं
सोने को
फुटपाथ पर।
नंगे बदन
पेट में कुलबुलाती
आँत के साथ।
पेट पीठ पर
घुसा जा रहा
मानो कह रहा है,
न होगा पेट
न होगी इसमें आग।
ये दृश्य देश की
राजधानी के
जनपथ का है,
जो राजपथ में
मिलती है पर
रास्ते जुदा हैं।
क्या ये सिर्फ विडंबना है ?
या हक़ीक़त है देश की
जनपथ से चलकर
राजपथ तो जाया जा
सकता है पर,
राजपथ से
जनपथ दिखाई
नहीं देता।
फिर उस पथ
की परेशानी का क्या ?