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Monu Bhagat

Drama

5.0  

Monu Bhagat

Drama

जन से जनता

जन से जनता

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जन-जन के मन में है,

ये नारा,

देश हमारा जन के द्वारा,

जन से जन तक,

राह हमारा।


जन ही प्यारा,

जन ही न्यारा,

जन के द्वारा,

सब कुछ न्यारा,

जन प्यारा,

जन ही है हमारा।


जन मुझ में तो,

तुझमें मैं हूँ,

बोल कहाँ किस में,

मैं नहीं हूँ।


मैं हूँ जन-जन,

तू भी तो है,

सचिन कलाम भी,

तो जन हैं।


रावण कंस भी तो,

एक जन थे,

ना जाने क्यों,

भटक गये थे।


राम कृष्ण सब,

जन ही तो थे,

इसीलिए जन,

कार्य किये थे।


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