जख्म
जख्म
जख्म देकर पूछते हो
दर्द हो रहा है क्या
वजह तो बताओ जरा
इतने मजबूर थे क्या
किस्मत से मिले थे हम
किये थे साथ निभाने के वादे
कहाँ छोड़ आये वो पल
भूल गये क्या सारे वादे
ठोकर लगने का गम नही
पर भरोसा टूट गया
दिल मे बसा हुआ प्यार
जाने कहाँ छूट गया
अब सोचकर डर लगता है
कैसे करें यकीन किसी पर
महाभारत तो होता रहेगा
कब तक जिए धृतराष्ट्र बनकर।