जिन्न नहीं जिनी
जिन्न नहीं जिनी
बचपन से सुनते आए
एक अलादीन का चिराग़ था
वाकई वो कमाल था ,
अलादीन की किस्मत
इस चिराग़ ने पलट दी
कहानी उसकी पल में बदल दी ,
किसी के पास ज़्यादा धन देख
लगाने लगते सब कयास
कहीं चिराग तो नहीं इसके पास ?
अब ज़रूरत के हिसाब से
थोड़ा सा कुछ बदला गया
सबकी सहूलियत से ढल गया,
नहीं चाहिए किसी को चिराग़ का
विशालकाय जिन्न इतना
चाहिए जैस्मीन जैसी प्यारी जिनी के जितना।
