जिन्दगी
जिन्दगी
मेरे गीतों में समाई हो
अन्तरे की तरह
जिन्दगी ढूँढ रहा था
तुझे मयखाने में।
चाँदनी धूप जमीं
आसमां में ढूंढ लिया
गली दयार की
जलती समाँ में ढूंढ लिया
तलाश मैंने किया
सैकड़ों बुतखाने में।
कभी घनघोर घटाओ में
तुझे ढूंढा था
तड़पती तप्त शिराओं में
तुझे ढूंढा था
दिलो-दिमाग के अन्दर
सभी तहखाने में।
खेत खलिहान लताओं में
ढूंढकर आया
पहाड़ नदियाँ गुफाओं में
ढूंढकर आया
यकीन दिल को मिलेगी
मुझे गम खाने में।