जिंदगी
जिंदगी
मै थामती चली जा रही हूं
और
मेरी जिंदगी
अंजुली भरे रेत की तरह
धीरे धीरे झरती चली जा रही
और
थामती चली जाती जिंदगी में
घोसले बनाती बया
और
घोसले खाली होते
जिंदगी लंबे लंबे कद भर भर कर
बढ़ती चली जा रही
और बढ़ती चली जाती जिंदगी में
मृगतृष्णा का आभास है
निस्तब्ध धुंधली आकृति
मै उसे मिटाना चाहती हूं
मै थामना चाहती हूं
पलाश बन जीना चाहती हूं
बसंत में बसंती रंग में ढलना चाहती हूं
ढल जाना चाहती हूं
अपनी मानसिकता में
जीना चाहती हूं खुलकर जीना
