जिंदगी मेरी कहर ढा रही है l
जिंदगी मेरी कहर ढा रही है l
मन की आवाज
कुछ यूँ कह रही है
जिंदगी मेरी कहर ढा रही है.....
बढ़ते कदम रुक से गए हैं
जीवन से हम डर से गए हैं
चाहते हैं जिंदगी खुशी से जीयें
पर अपनों के जख्म बढ़ से गए हैं
वक़्त की मार कुछ ऐसे पड़ी है
मुस्कुराहट अब गुम सी हो गयी है
मैं ढूंढूँ बहाना गर मुस्कुराने का
आँसुओं का ठेका है, मुझे रुलाने का
जिंदगी की डोर, कमजोर हो गयी है
जिंदगी मेरी कहर ढा रही है....
दिल की तमन्ना पूरी करूँगी
अपनों को अपना बनाकर रहूंगी
चाहें जख्म है मिले जिंदगी से मुझे
फिर भी, मैं फूलों की बौछार करूँगी
जिंदगी की खुशियाँ कहीं खो गयी हैं
जिंदगी मेरी कहर ढा रही है....