Mamta Gupta

Romance

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Mamta Gupta

Romance

जिंदगी में कोई आता क्यूँ हैं

जिंदगी में कोई आता क्यूँ हैं

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जब जाना ही है तो ज़िंदगी मे कोई आता क्यूँ है

जिंदगी भर साथ निभाने की कसमें खाता क्यूँ है।


कोई साथ नही देता है, उम्रभर किसी का कभी

कमबख्त रंगीन दुनिया के ख्वाब दिखाता क्यूँ है


तेरे आने से पहले ज़िंदगी मौज में कट रही थी

इश्क के बाद जिंदगी का मसला गड़बड़ाता क्यूँ है।


कितना ही रिश्ते को संभालने की कोशिश करो।

हर बार सिर्फ इल्जाम एक पर ही आता क्यूँ है।


प्रेम के धागे धीरे धीरे कच्चे पड़ जाते है

गाँठ पड़े रिश्ते को औऱ उलझाता क्यूँ है।


अपने ही अपनों की खुशियों को तबाह करते

इंसान दिखावे के लिए रिश्ते निभाता क्यूँ है।


उसे जाना था,चला गया बहाना बनाकर।

शिद्दत से इश्क निभाने वाला ही सजा पाता क्यूँ है ।


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