जिंदगी क्या है ?-पार्ट 1
जिंदगी क्या है ?-पार्ट 1
एक पल में गुजरती तुम जिंदगी
एक पल में ठहरती तुम जिंदगी,
एक पल में बिगड़ती तुम जिंदगी,
एक पल में सँवरती तुम जिंदगी।
सदियों जितना इंतजार करा देती हो,
कभी पल में प्यार करा देती हो।
कभी धोखा कभी साथ देती हो,
कभी बिछड़न तो कभी मुलाकात देती हो।
कभी तुम सादगी में दिखती जिंदगी,
कभी तुम आवारगी में दिखती जिंदगी,
कभी वही बीती बातें पुरानी,
कभी तुम ताजगी में दिखती जिंदगी,
कभी मान जाती हो जिंदगी,
कभी नाराजगी में दिखती जिंदगी।
बताती इधर नहीं उधर चल,जिंदगी,
लगने वालीं हैं ठोकरें जरा संभल,जिंदगी,
बिगड़ी बातों को करती हल ,जिंदगी,
तू मुक्कदर को देती बदल ,जिंदगी,
कभी सागर का शांत जल,जिंदगी,
कभी खुद ही करती पहल, जिंदगी,
हर रूप में करता महसूस ये सचिद,
इसके उर-पंक की कमल जिंदगी।