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Prabhat Pandey

Abstract

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Prabhat Pandey

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कविता : मोहब्बत

कविता : मोहब्बत

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नदी की बहती धारा है मोहब्बत 

सुदूर आकाश का, एक सितारा है मोहब्बत 

सागर की गहराई सी है मोहब्बत 

निर्जन वनों की तन्हाई सी है मोहब्बत 


ख्वाहिशों की महफिलों का, ठहरा पल है मोहब्बत 

शाख पर अरमानों के गुल है मोहब्बत 

ख्वाहिशों के दरमियां, एक सवाल है मोहब्बत 

दर्द का किश्तों में, आदाब है मोहब्बत 


लबों से दिल का पैगाम है मोहब्बत

शब्द कलम की साज है मोहब्बत 

भटकी चाह मृग तृष्णा सी है मोहब्बत 

भावों की मधुर आवाज है मोहब्बत 


प्यार विश्वास की नींव है मोहब्बत 

उदास लम्हो को आईना दिखाती है मोहब्बत

आसू का खारापन पी लेती है मोहब्बत 

टूटती बिखरती सांसों संग 


जी लेती है मोहब्बत।

मोहब्बत है ज़िन्दगी, मोहब्बत जुबान है 

मोहब्बत दिलों के प्यार का, करती मिलान है

मोहब्बत लुटाती है रहमो करम वफ़ा 

मोहब्बत किसी की, दर्द भरी दास्तान है 

'

प्रभात' मोहब्बत प्रतिफल नहीं चाहती कभी 

मोहब्बत हक़ भी नहीं मांगती कभी 

मोहब्बत मिटने को रहती है तत्पर 

मोहब्बत भय को नहीं मानती कभी 

पर आज सच्ची मोहब्बत दिखती नहीं 


दिखे स्वार्थ ही नज़रों में 

भटक रहा है प्यासा बदल 

भूला शहरी डगरों में 

पैसों के बाजार में 

मोहब्बत कथानक हो गई 

मोहब्बत भूली यादों का आसरा हो गई।


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