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Prabhat Pandey

Tragedy

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Prabhat Pandey

Tragedy

आज की राजनीति

आज की राजनीति

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राजनीति में बेधड़क जुमलेबाजी ,वादे पे वादे हो रहे 

नेता जी मर्यादा खोकर ,गाली पे गाली दे रहे 

गद्दी की लालच में ,पार्टी से बगावत कर रहे 

परे रखकर पार्टी नीतिओं को ,विरोधी दल संग मिल रहे 

पार्टी न हो गयी ,गंगा का जल हो गया 

जो दूसरे दल में बुरा था,इनसे मिल कर सच्चा वो साधू हो गया 

कितने ही नेता आते और कितने ही हैं जाते 

सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर जाते 

चेहरे ही सिर्फ बदलते ,व्यवस्था नहीं बदल पाती 

आज यह बात क्यूँ समझ नहीं आती 

चुनाव भर रहते हैं ये ,मतदाता की छांव में 

सदन पहुंचते ही करने लगते हैं ,बातें ये ताव में 

लाशों पे लाशें गिरती रही कोरोना काल में 

मगर देश के प्रधान व्यस्त रहे अपनी राजनितिक चाल में 

शर्म आती नहीँ इंसान का कत्ल करने और कराने में 

बाँट कर जाति धर्म में ,इंसानों को पशु और खुद को भगवान बनाने में 

कौन कहता है कि सरकार आज ताकतवर है 

मुझे तो लगता नहीं किसी को कोई डर है 

बस एक मध्य वर्ग के लिए सारी क़ानूनी बाते हैं  

बाकी सबकी सेवा के लिये ,तैयार सौगाते हैं 

सच है यहाँ कोई नहीं सोंचता ,हमें है करनी सेवा 

राजनीति में सबकी चाहत मेवा ही मेवा 

राजनीति एक गहरा ,अथाही दलदल है 

इससे उबरने का ,न किसी के पास हल है।


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