Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dr Priyank Prakhar

Abstract

4.5  

Dr Priyank Prakhar

Abstract

आदमी हुआ बिजूका है

आदमी हुआ बिजूका है

1 min
1.7K


दूजे की तकलीफों को बस ताड़े,

खड़ा रहे बस अपनी आंखें फाड़ें,

मन से रूखा औ तन से सूखा है,

लगे जैसे इंसान हुआ बिजूका है।


कद में है ऊंचा पर जड़ से टूटा है,

ये तो खुद ही एहसासों से छूटा है,

करा किसी ने कोई टोना-टटूका है, 

आज आदमी बन बैठा बिजूका है।


बदन में दुःख दर्द की कांस धरे,

मन में ईर्ष्या जलन की फांस भरे,

जाने किसने क्या मन्तर फूंका है,

था जो इंसान वो बना बिजूका है।


सर पर रखे चिंता का मटका है,

देखो गुस्से के बांस पे लटका है,

हर बात पे होता लाल भभूका है, 

आदमी सच में हुआ बिजूका है।


नहीं मदद किसी की ये करता है,

बस अपनी ही दुनिया में तरता है,

ये बन बैठा क्या गजब अजूबा है, 

लगता ऐसे जैसे हुआ बिजूका है।


हर पल आहट पर होता खटका,

ये तो वो राही जो राह से भटका,

हो अकेला इंसानियत से चूका है, 

नहीं है इंसां ये सच में बिजूका है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract