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Pt. sanjay kumar shukla

Abstract

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Pt. sanjay kumar shukla

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शब्दों की दुनिया

शब्दों की दुनिया

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                  (१)

वो स्याही जो कोरे पन्नों पर,

शब्दों की लता उस कागज में लपटी हैं ।

कवि की आनंद अनुभव से,

लय तुक में छिना झपटी हैं ।।

                 (२)

उस रचना में रस की रस पीकर,

आनंदित है यहां लोग ।

उन छंदों की सुन्दर बंधन की,

लग गई जग को कविता से

जोग ।।

                 (३)

कवि की कविताओ पर,

उस स्याही की बलिदान l

जब लेट गई वो कोरे कागज में,

वो कविता लिखने वाला विद्वान ।।

                  (४)

जब देखती संसार है कि,

नवल अक्षरों से रचित ।

सुस्पष्ट सरल सार युक्त,

तब लोगों में कविता चर्चित ।।



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