जिन्दगी खेल नही
जिन्दगी खेल नही
जिंदगी खेल नहीं
सब शतरंज के प्यादे है।
कभी चले ढाई घर तो
कभी सीधे चलते है।
एक कदम सम्भल के चलाये
जाने कैसे तिरछे काटे है।
सबको देकर मात निकल जाए
जीत तब भी कहा होती है।
जीवन कई मुश्किलों का खेल है
इसमें कोई पास तो कोई फेल है।
जो हार मान कर रुक गया
वो खाक जीवन जीता है।
अरे जीतने की कोशिश कर
की अपाहिज भी अपना
काम ख़ुद करता है
कमजोर समझने की गलती
हर नादान करता है
जीवन शतरंज का खेल नहीं
जो एक बोर्ड पर चलता है।
हर दुख और तकलीफ सह जाए
वो इंसा इंसान होता है।
जीवन एक खेल नहीं है।
जो कुछ देर में खत्म हो जाए।
ये एक लम्बा सफर है।
चल हम मिलकर जी जाए
चल हम मिल कर जी जाए।