भगवान हैं कहाँ रे तू
भगवान हैं कहाँ रे तू
बहुत उदास सी जिंदगी ने, कोई राह दिखाई नहीं
कभी गम को कम करने की, कोई दवा बनाई नहीं
फ़िजूल में अपनी किस्मत पर रोते रहे हम।
कोई बात नहीं , कोई पहचान बनाई नहीं
पता है,तू इम्तिहान लेती है,जिंदगी!
पर क्या इसकी कोई ,रिजल्ट भी तो दिखाई नहीं
किया ना कभी किसी का बुरा .....
पर फिर भी आँखों के, इक समुन्दर में तू समाई कई।
माना कर्म और किस्मत से ,ना मिला ना मिलेंगा।
पर अगर जीवन है,तो अपनी तूने क्यों चलाई नहीं
हर उम्मीद उस रब पर ,अब हमनें है बनाई...
जा जिन्दगी, तेरी हर बात से ज्यादा ,अब तू पराई सही।
मुझे देने वाला जन्म ,वो ऊपर वाला भगवान है।
ओर हर वन्दे से ऊपर उसकी मेहरबानी की आस है।
ना कर उदास ना कोई दुख दे...
या मोला ओर भगवान अब तक तू कहाँ है।....