मानो या ना मानो
मानो या ना मानो
कुछ अल्फ़ाज़ जो कहे जाते है।
वो दिल मे बहुत ही चुभते है।
जान बूझ के क्यों कोई
अरमानो को दबाते है।
आसमा के तारे गिने नहीं जाते
पैरों से ठोकर पत्थर नहीं मारे जाते
हर कोई यहाँ अपना नही होता
फूल कभी मुरझाया नहीं होता
हर बात की हद ना में खत्म होती है।
हर बात दिल की दिल से वया होतीं है।
तू उफान ला अपने दिल में
कल जो किया बुरा उसका भी हिसाब रखते है
भगवान ना किसी का हुआ है।
ओर ना ही कभी हुआ करता है।
बुरा करोंगे तो
बुरा ही होंगा
इस बात गुमान ना कर
तुम मानों या ना मानों
इसका हिसाब भी उसके पास होंगा......