बौनी उड़ान
बौनी उड़ान
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हर जगह हारी रही है।
मंजिल आसान नहीं रही है।
पँखों को उड़ने से रोका है
ये इंसान बड़ा नादान है।
इम्तिहान तो हम देते रहें
पर मंजिल में अड़चन पैदा होती रही
किसी किसी को आसानी से सब मिल जाता है
रब क्या बस उनके साथ ही रहता है।
किस्मत लिखवाक़े पने साथ लाते है।
हम पँछी नही जो बौनी उड़ान रखते है।
हमारा लक नही देता साथ
शायद अभी नही हमारा वक्त
वक्त हमारा भी आएगा
और कोई ये ना कह सकेगा
की हम बौनी उड़ान रखते है।