ज़िन्दगी के पन्ने
ज़िन्दगी के पन्ने
बहुत टूट चुके हो अन्दर से तुम,
शब्द दर्द बन कर के टपक रहे,
आवाज़ जैसे रो रहे दिल ही में तुम,
सुर अश्रुधारा से सहज छलक रहे।
नहीं बता रहे कह कर भी तुम,
बिन बोले भी तो ज़ख्म चमक रहे,
क्यों हो अपनी चोट छुपाए तुम,
बिन बोले भी तो यों खटक रहे।
इस हाल में नहीं हो केवल ही तुम,
बहुत हैं तुम जैसे सीख सबक रहे,
ज़रा से दर्द पे न ही पछताओ तुम,
ज़िन्दगी के पन्नों पर तुम दमक रहे।
सीखना और सिखाना ही तो जीवन है,
दर्द को चुनौतियों की हद तक जाने दो,
जीवन को और बेहतर अभी बनना है,
ज़ख्मों को हरा ही अब तुम रहने दो।
सुख आता है तो दुख जाता है,
दुख आता है तो सुख जाता है,
ये सब तो जीवन का ही बस हिस्सा है,
बाकी सब तो बस एक किस्सा है।
छोड़ो सब बेकार की ही तो बातें हैं,
आज चला गया, कल कोई और आयेगा,
ज़िन्दगी तो चलती ही रह जानी है,
बस हमसफर ही तो बदलता जायेगा।
बार बार टूट कर के क्यों कमज़ोर होना,
बस सफर में आगे ही तुम बढ़ते जाना,
कहीं कमज़ोर समझ फायदा न उठा ले,
बस नहीं रुकना अब चलते ही जाना।
