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Deepti S

Inspirational Children

4.5  

Deepti S

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ज़िंदगी के अनुभवों से सीख

ज़िंदगी के अनुभवों से सीख

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है संसार उन्ही से बसा हुआ, हम हैं उनके नाती पोते

जग़ की रीत ये सिखायें, हम कहते हंसी में उन्हें पुराने तोते

हम हैं इनकी जीवनपूँजी ये हरदम हमसे हैं कहते

चले जाएँगे जल्दी साथ छोड़कर क्यूँ हम उन्हें समय नहीं देते 


सारी मशीनों को फ़िट कर चले जाते हो पूरा दिन घर छोड़कर

साथ बैठ बात दिल की कहना चाहते ये तुम्हें झकझोर कर

ना साथी ना सहारा है लाठी का दम भी हारा है

पूछो रिश्तेदारों से मिल आने को, तुम फ़ोन की लत को भूलकर 


आज के रिश्तों में वो मिठास नहीं जो गन्ने जैसी होती थी

रस से गुड़ और अंत खोई बन सर्दी में तपन भी देती थी

इस युग का प्राणी मात्र रस को सोख रहा 

नयी प्रणाली अपनाकर वह पुनरावर्ती(रेसायकल)सीख रहा 

ये पुनरावर्ती लौट कर तुम पर भी आनी है 

जो आज तुम छुप के भाग रहे ये कहानी दोहराई जानी है


इनकी दुआओं में वो कशिश हैं जो पल भर में झोली भर देती 

तुम एक भी दुखड़ा रो दो तो धन दौलत सब फीकी कर देती 

जब वृद्धाश्रम भेजने की तैयारी तुम्हारे अंदर उफान भर लेती

तब इनके नेत्र में तुम्हारे विद्यालय का पहला दिन अश्रु भर देती

कैसे कुछ क्षण की दूरी इनको व्याकुल कर देती थी

कुछ पल की देरी भी इनको किसी अनहोनी से भर देती थी


बाबा ने सिखाया पोथी पत्रा किताबों से अलमारी भर 

अंतकाल में जब साथ तुम्हारा छोड़ेंगे सब 

जब ज्ञानेंद्रियाँ भी छोड़ेंगी साथ तुम्हारे जीवन रथ पर 

तब यही अग्रसरित करेंगी जीवन के अगले पथ पर 

कुछ सीख कुछ सबक़ हम सीखें इनकी बातों से 

ये वो अंतिम पीढ़ी है जो देखें हैं स्वतंत्रता अपनी आँखों से।


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