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Yashvi bali

Abstract

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Yashvi bali

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ज़िंदगी एक झूठ …

ज़िंदगी एक झूठ …

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पता नही क्यूँ लोग …

जीते जी सुकून ढूँढते है 

जो ज़िंदगी दी है उसने 

उस को नकार के मौत माँगते हैं 

फिर जब बार बार …

उनकी प्रार्थना सुन के प्रभु पिघल जाते है 

अपनी बाँहें फैला के ..

अपनी गोद में सुकून से 

सुला लेते है ..

तो फिर भी ,..

प्रभु को दोष दे दे के 

पूरे जग में दुहाई मचाते हैं 

आज तक वो ऊपर बैठा 

ना जान पाया …,

ये उसी के बनाए लोग क्या चाहते हैं 

यशवी इसीलिए शायद …

हर चीज़ की चाहत को 

पूरा ना करने की उस ने ठानी है 

ज़िंदगी एक झूठ और 

मौत एक सच्ची कहानी है।


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