दुनिया बदल गई तेरी …
दुनिया बदल गई तेरी …
अच्छी थी पगडंडी अपनी।
सड़कों पर तो जाम बहुत है।
दिल से दिल की बात करने की
फुर्र हो गई फुर्सत अब तो।
सबके पास काम बहुत है।
सूने हो गये सब बाग बगीचे।
नक़ली पोधे … नक़ली फूल
सजा लिए घर बाहर सब ने
इन गमलों में शान बहुत है।
मिलने को दिल चाहता तब है
थके हुए है …जब काम बहुत है
पीते हैं मिल बैठ के चाय भी बस
तब कहीं …जब मतलब है कुछ …
कहते हैं यूँ ही …दिल ख़ुश हुआ
यहाँ तो आराम बहुत है।
सुविधाओं का ढेर लगा है।
पर इंसान परेशान बहुत है।
दिल में रंजिश भर के …
बिखेर रहे मुस्कान बहुत है
तूने बनाया मुझे …
फिर भी तुझ से …दिल की बात कहने का समय ना मिला
क्यूँकि हर किसी के
दिल में भरे …
जलन ,द्वेष और घृणा है
दिल में तेरे लिये स्थान कहाँ है
बनायी थी तूने
बड़े प्यार से ये दुनिया …
बदले हुए सब लोग यहाँ है
तेरी बनायी दुनिया …बदल गई
ना जाने वो दुनिया …कहाँ है।