दिल और दुआ …
दिल और दुआ …
दिल दिया उस रब ने बस एक दुआ थी
जो माँगी यशवी मैंने
अपने उस रब से थी
बहुत मेहरबान हुआ था
दे के इस पुतले को
जीने का सम्मान
ये उसकी बनायी दुनिया थी
खूबसूरत सी हर चीज़ सजाई थी
फूल थे इंसान थे जानवर भी और हैवान भी थे
ख़ुशक़िस्मिति थी मेरी एक नारी का रूप दिया
उस पे रहमत तेरी की दिल का तोहफ़ा दिया
बेशक़ीमती तोहफ़ा -ए -दिल दिया …
कोई झांक ना सके उसमे
कितनी परतों में छुपा दिया
ज़िंदगी जी लो मज़े से यहाँ
जाने से पहले इस जहान से
>लिख जाना एक ऐसी दास्तान
जो छुपा के रखी थी इस दिल में जिस से सब थे अनजान
क्या खोया क्या पाया
क्या रह गया …
ये सारा कर जाना बयान
हर शख़्स को दे जाना पैगाम
ये दुनिया उस ने बनायी थी
कुछ खूबियाँ कुछ खामियाँ थी
पर जी मैंने ये ज़िंदगी …
क्योंकि बड़े अच्छे कर्मों से पायी थी
यूँ ही ना चले जाना यहाँ …इस जहान से
दिल की दुआ …को जग ज़ाहिर कर जाना
जिस्म यहाँ छोड़ देना है … दिल के क़िस्से भी बयान कर जाना
अपने दिल की किताब को यशवी ..
यूँ दुआ का तोहफ़ा … बना जाना