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Rajni Sharma

Inspirational

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Rajni Sharma

Inspirational

वसुधैव कुटुम्बकम

वसुधैव कुटुम्बकम

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जब लहु का है रंग साझा 

तो क्यों धर्मों का बंधन है  

इंसान हो, इंसान ही बने रहो  

यही परमपिता परमात्मा का 

आलौकिक गठबंधन है 

गीता, कुरान, बाईबिल 

और गुरु ग्रंथ साहब का आध्यातम हो 

या हो पूजा, अर्चना नमाज 

सब में उसका एहसास है 

जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी 

यही पंचतत्व है 

जीव अविनाशी की पहचान 

तुझे चाहा रब से ज़्यादा 

अपना माना हद से ज़्यादा

तुम पूजित हो 

परमेश्वर की तरह 

मौन मत रहो 

अपने स्थिर मन से पूछो 

तेरी प्रति मेरा यह जीवन 

कण-कण पूर्ण समर्पित है 

वसुधैव कुटुम्बकम 

की अपनी परिभाषा है 

जो न समझे वो अंजान 

मेरी अधूरी और पेहली 

बस एक छोटी सी आशा है |





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