STORYMIRROR

कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Inspirational

5.0  

कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Inspirational

स्वार्थ से परे हो जीवन अपना

स्वार्थ से परे हो जीवन अपना

1 min
710


स्वार्थ से परे हो जीवन अपना

पूरी धरती हो परिवार

घर आँगन में बच्चे खेले

हर सपना हो सकार


नहीं किसी से द्वेष हो किसी का

सबमें हो प्रेम अपार

केवल नारो में ही बातें ना हो

वसुधैव कुटुम्बकम हो जीवन आधार


वृक्ष ना खाए फल स्वयं का

नदी ना पीए नीर

बादल ना कभी नहाए जल में 

ठंडक ना महसूस करे समीर


फिर क्यूँ तू तू मैं मैं करता रहता हे मानव

रख तू जरा जीवन में धीर

परहित ही उद्देश्य हो जीवन का

फिर क्या कभी मिटेगा तू


सोच समझकर बढने वाले

नहीं होते कभी जीवन में अधीर

नहीं होंगे दंगे फसाद और हो जाएगा झगड़ा खतम

जब बन जाएगी पूरी धरती वसुधैव कुटुम्बकम



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational