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Sonam Kewat

Inspirational

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Sonam Kewat

Inspirational

पुराना कंबल

पुराना कंबल

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ठंडी का मौसम आ गया है,

फिर कपड़ों के ढंग बदलने लगे हैं।

आजकल लोग रास्तों पर भी,

स्वेटर पहनकर चलने लगे हैं।


मैंने भी बाजार जाकर,

एक मखमल का कंबल लाया।

सजा दिया बिस्तर पर और,

पुराने वाले को कचरे में बहाया।


दूसरे दिन मैं बाकी सारे सामान,

बाजार से लेने चलने लगीं।

शाम हो गया जब तो फिर,

अपने घर की तरफ मुड़ने लगीं।


देखा जब कूड़ेदान की तरफ तो,

फेंका हुआ कंबल वहां नहीं था,

एक छोटा सा बच्चा शुकुन से,

कंबल में लिपटे सोया वहीं था।


सोचो, जो आपके काम का नहीं,

वह कोई और पाना चाहता है।

और जो हमारे नसीब में आम है,

उसे कोई और खास मानता है।


फिर मैंने एक नया कंबल लेकर,

उस बच्चे के हाथ में दे दिया।

उसने प्यार से मेरी आँखों में देखा,

और ठिठुर कर उसे लपेट लिया।


ये कंबल नया हो या पुराना,

सोचो काम तो वही करता है।

कहीं किसी का कंबल फटता है,

कहीं कोई फटे कंबल में रहता है।


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