Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sangya Nagpal

Inspirational

4.6  

Sangya Nagpal

Inspirational

सोच का ताला

सोच का ताला

1 min
467


बताया गया मुझे कुछ साल पहले ;

आज़ाद हो गए हैं हम अंग्रेजों की गुलामी से।

 आज़ाद हैं हम गुलामी के ताले से;

जो चाहे कर सकते हैं हम अपनी मनमानी से।


तन की आज़ादी का क्या मतलब;

कब खोलोगे सोच के ताले को।

करो आज़ाद सोच को भी अपनी;

रखो साथ में औरत के पाले को।


कब तक रखोगे औरत को कैद;

कभी पिता,कभी भाई,कभी पति बनके।

खोल जो ताले सोच के;

वो भी चल सके सीना तन के।


पिता कहता है रखो संभाल के ताले मे;

बेटी पराया धन है।

क्यों नहीं पूछते उससे

कि उसका भी मन है।


पति के घर में भी परायी होती है;

नहीं होता है उसका कोई घर।

नहीं पूछता उससे आकर कोई;

जिंदा है वो या गई है मर।


क्यों लगा दिया ताला मुँह पर;

क्या वो बेजु़बान है।

जानवर नहीं होती औरत 

वो भी एक इंसान है।


बदलो सोच को अपनी ऐ समाज;

दिमाग के ताले खोल दो।

हो गए आज़ाद हम विकृत सोच से;

अब ये सबसे बोल दो।

हां अब ये सबसे बोल दो!!!!





Rate this content
Log in

More hindi poem from Sangya Nagpal

Similar hindi poem from Inspirational