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Rati Choubey

Inspirational

4  

Rati Choubey

Inspirational

अर्बाशन---

अर्बाशन---

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देश के हर घर में

"भ्रूण हत्या" का हुआ 'कहर'

वो 'सोच' कहां से लाऊं

जो हर ले ---

इस "रुढ़ि वादियां " को

आज से है --

"बेटी" सहमी सहमी

"तूफानों" से कैसे बचाएं ?

"अजन्मी कन्या को ?

लिंग भेद ये --

जन्म जन्म से होता आया

परम्परा है "पुत्र रत्न" की

कल भी थी " भ्रूण हत्यायें"

आज भी है

कल भी रहेगी

पहले होती थी छुपकर "हत्या"

आज हो रही "खुल्लमखुल्ला"

बेटी आज "समस्या " है

कन्या जन्म है "अभिशाप"

वंशवृद्धि की बेल "बेटा"

चेतना की कमी‌ है "बेटी"

रोकना है ये "भ्रूण हत्यायें"

बदलो' सोच', सशक्त 'बनो

आत्मनिर्भर करो " बेटी" को

स्वच्छ। सोच का करो निर्माण


कन्या को मानों "त्यौहार"

कन्या ही है "संजीवनी"

कन्या ही है" कल्पवृक्ष"

"भ्रूण हत्या" जघन्य अपराध"


कन्या "अनादि, शाश्र्वत"है

गीता,कुरान, वो बाईबल है

रामायण है, "ब्रहृमांड है

कन्या प्रेरणा, संस्कृति है

‌‌‌बिडम्बना देखो --

कन्या ही है "आदिशक्ति"

उसे ही करते "शक्तिहीन"

कन्या ही प्रकृति, सृष्टि है

उसे ही ध्वस्त करते


कन्या ही बनती "मां"

कन्या ही ", गृहलक्ष्मी"

उसकी कोख में

पलता ",पुरूष"


आज बना है उसका "भक्षक"

नवरात्रि में पूजती ", कन्या,"

" कोख" में ही "भ्रूणहत्या"


आज "बेटियां" छू रही आकाश

उड़ने दो न उसे परिंदा बन

ना काटों उसके कोमल पंख

" सशक्तिकरण "

का छोडो़ नाटक


करो सचेत , विरोध करो

एक भाव हो ,एक संकल्प

प्रहरी बन बंद करो "भू्णहत्या"

‌ वरना--

राष्ट्र "पुरुष विहीन होगा "


‌‌‌‌









साहित्याला गुण द्या
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