बेटी
बेटी
हर घर की रौनक
होती है बेटियाँ
घर के बागवानी
लगाती है बेटियाँ ।।
गाती है बेटियाँ
मुस्काती है बेटियाँ
घर में चार चांद
लगाती है बेटियाँ ।
जब भी कहीं से माँ
थक हार कर आती है
पांव दबाने लगती है
माँ की बेटियाँ ।।
फिर भी क्यों दूर इतना
लगती हैबेटियाँ
बेटी को देख क्यो मजबूर
लगती हैबेटियाँ ।।
धर की हर शाखा को
बांध कर रखती है बेटियाँ
बेटियों से ही प्रसन्न
रहती है बेटियाँ ।।
बेटी से ही है रिश्ता
बेटी से ही है समाज
बेटी नहीं होगी तो
कौन बनेगी पताहो
कौन बनेगी सास।।
बेटी से ही है माई
बेटी से ही है भौजाई
बेटी नहीं होगी तो
होगी जग हसाई।।
जिस आँगन में ना हो बेटी
वह आंगन सूना लगता है
बेटी के दुआ से ही
लक्ष्मी घर आ जाता है।।
लक्ष्मी घर आ जाता है।।