जिंदगी धूप में ही मेरी कट गई
जिंदगी धूप में ही मेरी कट गई
जिंदगी धूप में ही मेरी कट गई
क्या मिला क्या कहे मिट गई लुट गई
जाम पीने को हमने उठाया जभी
गिर गया जाम वो जिंदगी बह गई
ना मिली दौलत भागते हम रहे
और फिर जो बिसाते बिछी पिट गई
इश्क भी जो किया तो किया क्या किया
जो किया जिंदगी फिर कहीं रह गई
ना मिला इश्क ही ना मिला मुश्क ही
सांस भी ले न पाए खुदी घुट गई
जो मिले तो बना ख्वाब में इक महल
रूबरू जो हकीकत हुई ढह गई
और जब की बगावत कमल जिंदगी
में बची आह शोहरत सभी मिट गई