Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Yogesh Suhagwati Goyal

Drama

5.0  

Yogesh Suhagwati Goyal

Drama

जिंदगी ढलने लगी है

जिंदगी ढलने लगी है

1 min
7.6K


कल तक दौड़ती जिंदगी, धीरे धीरे थकने लगी है,

जिंदगी ढलने लगी है, जिंदगी ढलने लगी है


हर एक सुबह भोर की याद दिलाती मुर्गे की बांग

धीमी अब सुनने लगी है, जिंदगी ढलने लगी है


अँधेरे के पार दूर तक साफ़ देख लेने वाली आँखें

धुंधला अब पढ़ने लगी है, जिंदगी ढलने लगी है


आत्मविश्वास से भरपूर, बेख़ौफ़ बेधड़क जिंदगी

आहट से भी डरने लगी है, जिंदगी ढलने लगी है


दुबई लंदन सिंगापुर, सुबह से रात्रि तक व्यस्त

घर में अब सिमटने लगी है, जिंदगी ढलने लगी है


कल के निरोगी शरीर में, हर दिन एक नई पीड़ा

पीछे अब पड़ने लगी है, जिंदगी ढलने लगी है


देख सुन चख सूंघ और स्पर्श रुपी पांच इन्द्रियां

शिथिल अब पड़ने लगी है, जिंदगी ढलने लगी है


कल तक सबका सहारा जिंदगी को बैसाखी की

जरूरत अब पड़ने लगी है, जिंदगी ढलने लगी है


पलक झपकते ही तथ्य ढूंढने वाली स्मरणशक्ति

“योगी” मंद अब पड़ने लगी है, जिंदगी ढलने लगी है !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama