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Habib Manzer

Drama

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Habib Manzer

Drama

ज़िंदगी आज मुझको क्या देगी

ज़िंदगी आज मुझको क्या देगी

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ज़िंदगी आज मुझको क्या देगी

बेवफा ज़िंदगी दग़ा देगी


मौत के बाद क्या नज़र आये

कब्र मिट्टी मे तन दबा देगी


ऐ खूशी उम्र तेरी कितनी है

बारहां ग़म मुझे दिला देगी


अब अमन की है चाहतें दिलमे

फिर मेरा घर भी तु जला देगी


ईश्क तुमसे है बेपनाह मुझे

कब वफा दिलसे तु निभा देगी


कितने अरमान व ख्वाब हैं दिलमे

ख्वाब कब सच मेरा बना देगी


वक्त सजदों मे गुजर तेरा हुआ

दिलसे कब तुम मुझे दुआ देगी


कितना विरान है ये दिलका शहर

कब शहर दिलका तु बसा देगी


दिल भी रूठा है तेरी चाहत मे

कब सनम दिलको फिर मना लेगी


कितना मंज़र का दिल से सादा है

कब गले तुम सनम लगा लेगी...!


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