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Deepali Mathane

Tragedy

4  

Deepali Mathane

Tragedy

जिक्र किसीका........कही-सुनी बातें......

जिक्र किसीका........कही-सुनी बातें......

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जिक्र किसी का सजता है किसी की महफ़िलों की कश्ती में।

ता उम्र जीता हैं काफ़िर बन के अपना काफ़िरों की बस्ती में।


वाकया किसी की जिंदगी का नमक-मिर्च लगाकर सुनता गया।

बेमतलब की बातों को वो और बढ़ा-चढ़ा कर करता बयाँ।


किसी की सुनी-सुनाई बातों से वो नज़रिया बदल गया

किसी का शब्दों के खेल से जिंदगी का पूरा मायना ही बदल गया।


किसी के बारे में कुछ कहने से पहले थोड़ा तो होता सोच लिया।

क्या तुम्हारी अंतर्मन के विश्वास ने बस उसे इतना ही जाँच लिया?


यूँ ही किसी की कहाँ सुनी से किसी को सही-गलत में क्यूँ तौल दिया?

 बेफ़िजूल की बातों पर सच्चाई का एक झूठा किस्सा झुल गया।


समझ सको तो आँखों देखा भी कभी गलत हो सकता हैं।

सुनी सुनाई बातों पर ही क्यूँ विश्वास का पहिया रुकता हैं?



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