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Phool Singh

Horror Crime Thriller

4  

Phool Singh

Horror Crime Thriller

जीवन सफर- एक लंबी यात्रा

जीवन सफर- एक लंबी यात्रा

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आज का दिन तो बीत गया, कल जाने अब क्या होगा

वक़्त का चक्र तो घूम रहा है, हर बात का हिसाब देना होगा।


खेल में अपना बचपन बीता, तब सपना कुछ बड़ा होगा

दौड़-भाग में जवानी कट रही, बूढ़ापा जाने कैसा होगा।


कालपुरुष जब आएगा एक दिन, टाकिया बिन बिछौना होगा

अपनी करनी साथ में होगी, बन मुर्दा किसी कोने में पड़ा होगा।


मंजिल तेरी यही थी बंदे, शायद जग मेले में भुला होगा

जिंदगी लगा दी आते-आते, कहीं शमशान की दीवार पर ये लिखा होगा।


अपने-पराए सब रोते रहते, अच्छा-बुरा जिन्हे कहा होगा

चिता में जल कर खाक बनेगा, तब सफर कहीं पूरा होगा।


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