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Bhavna Thaker

Romance

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Bhavna Thaker

Romance

जीवन में फागुन भर दो

जीवन में फागुन भर दो

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ओ मेरे ऋतुराज सुनों,

सखियाँ पूछे बता कहाँ तू बिरहन फागुन कैसे काटे सदा

सुनों, पलाश की केसरिया भात संग रंगों में उमंग मिलाकर चिरसंचित अनुराग भर दो।

 

मादक से मन हर रंगों की सौरभ सौमिल गंध भर दो,

होली की बेला में साजन तप्त कणों में लाल गुलाल के अनन्त से स्पंदन मल दो।


तृषित देह की रंगत फ़िकी चाहत में तुम सराबोर सी साँसों की सुगंध भर दो,

विकल बड़ी हूँ कोरी चुनर में जामुनी रंग से टशर चुराकर लबों को छूकर तरंग भर दो।


अधर गुलाबी शीत पड़े है भांग की भूरकी थोड़ी छिटक कर,

नशे की तलब में अपने प्रीत की सोंधी सी चरम भर दो।


कोरी कुँवारी काया मुग्ध है मन की माया ओस धुले पथ राह निहारूँ,

आलिंगन उर भर लो आओ अचानक होली के दिन जीवन में फागुन भर दो।


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