जीवन का सफर
जीवन का सफर
हमेशा जिन्हें देखा
घमंड की चादरों से लिपटे
पैसों से तौलते गरीबों को
संपत्ति और दौलत से पूर्ण।
उस इंसान को जब देखा मैंने
मरने के बाद
राख में परिवर्तित होते हुए
सबकुछ मिट चुका था उसका।
वो घमंड, वो रुतबा
वो संपत्ति, वो शख्सियत
कुछ बच गया था तो वो था पहचान
जो कर्मों द्वारा यहाँ बनाकर
गया था।
