जीवन का संघर्ष
जीवन का संघर्ष
जीवन के संघर्ष से न घबराना
ये जीवन का अटूट हिस्सा है,
बिन संघर्ष के कभी सुना क्या तुमने
किसी के जीवन का कोई किस्सा है?
जिसने जितना संघर्ष किया
जीवन कमल उतना ही खिला,
कूटी गई इलायची जितनी
खुशबू और स्वाद उतना ही दिया।
घबराते क्यों संघर्ष से तुम
कभी इसको तुम ऐसे भी पढ़ो,
"संग हर्ष" जिसने बिताई जिंदगी
फिर दुख कैसा, भला तुम ही कहो।
जिंदगी है तो संघर्ष रहेगा ही
ये बात गांठ बांध लो रे, सखा!
वो आखिरी सांस होगी तुम्हारी
जिस दिन ये संघर्ष छोड़ेगा यहां।
जो दिखता है फलता फूलता
बिन संघर्ष के इस जीवन में,
वो सिर्फ आंख का धोखा है
मन का भ्रम है और कर्मों का लेखा है।
उसे, उसकी तरह तुम चलने दो
खुद संघर्षों में रत तुम रहो।
ये जीवन संग्राम कट जायेगा
हंसते मुस्कराते सब सहते रहो।