जीवन का अलंकरण
जीवन का अलंकरण
सत्कर्म, संस्कार और आदर्श ही जीवन का अलंकरण,
अंत समय सब रह जाएगा यहीं साथ जाएगा आचरण,
नश्वर यह तन मिट्टी का एक दिन मिट्टी में मिल जाना है,
दो पल ज़िन्दगी ये नफ़रत छोड़ प्रेम का करो अनुसरण,
क्योंकि प्रेम वो रास्ता है जो ईश्वर से जोड़े रखे हर क्षण,
किसी के प्रति द्वेष भावना रखने से विचलित होता मन,
धन-दौलत, ऐशो-आराम इनसे ना मिले वास्तविक सुख,
इसी मोह माया में फंस कर रह जाता हमारा पूरा जीवन,
इसी माया के लिए तो नफ़रत करता है इंसान से इंसान,
सत्कर्म, संस्कार भूल कर नफ़रत में बन जाता वो हैवान,
जो हम देते संसार को वही लौटकर हमारे पास आता है,
नफ़रत से केवल मान खोता अंत तक मिले नहीं सम्मान,
रिश्ते भी वही पनपते हैं जहाँ प्रेम की होती मीठी ज़ुबान,
किसी को नीचा दिखाकर कोई कैसे हो सकता है महान,
पल पल दुख की खाई में गिरता जाए बुरे कर्म जो करता,
जीवन भर रहता दुखी वो जो इस सच्चाई से रहे अनजान।
