जीत हार की बात नहीं..!
जीत हार की बात नहीं..!
युद्ध भूमि में जाकर योद्धा जो प्राण गवाए,
अमर शहीद वो कहलाये
गृह युद्ध में जो घुट घुट मरता
बोलो उस वीरांगना को क्या सब कहता..?
सब लड़ते अपने अपने स्तर पर
नित नये युद्ध हैं यहाँ
बीमारी हो या कि भुखमरी
या कि हो गृह कलह /
गृह संपत्ति का हो बटवारा
ऐसे दुश्मन
जिनसे हर रोज जूझ रहे लोग
जीत हार की बात नहीं
बात करते हैं भाव की भावना की
लड़ रहे सब आपस में
भूख कहे हूँ मैं बलवान
बीमारी ने अब अपनी चुप्पी तोड़ी
हर शख़्स है यहाँ एक योद्धा
मुफ़लिसी से बड़ा है बैरी कौन यहाँ
लड़ रहे लोग उससे जी तोड़ परिश्रम कर यहाँ
ख़ुद को गिद्ध निगाहों से रखना महफूज
है बहुत बड़ा ये युद्ध
गोली / बारूद / तीर / भला /बरछी / कटार
सब हो जाते फेल यहाँ
कौन सी युक्ति लगे कहाँ
बस यही चतुराई कभी लग जाती
जाने कैसे लड़े अपनों से
वो वीरांगना क्या करे...!!